Advertisement

Responsive Advertisement

माँ पीताम्बरा पीठ दतिया maa Pitambara peeth datia


पीताम्बरा पीठ दतिया

विवरण  'पीताम्बरा पीठ'

भारत के लोकप्रिय
शक्तिपीठों में से एक है,
जो मध्य प्रदेश में स्थित है।  
मुकदमे आदि के मामले में
पीताम्बरा देवी का अनुष्ठान
सफलता प्राप्त करने
वाला माना जाता है।
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला दतिया
निर्माण काल 1935
प्रसिद्धि शक्तिपीठ
संबंधित लेख मध्य प्रदेश , दतिया ,
शक्तिपीठ
विशेष पीताम्बरा पीठ
के प्रांगण में
ही 'माँ धूमावती देवी'
का मन्दिर है, जो भारत में
भगवती धूमावती का एक
मात्र मन्दिर है।

पीताम्बरा पीठ
की स्थापना एक सिद्ध
संत, जिन्हें लोग
स्वामीजी महाराज
कहकर पुकारते थे, ने 1935 में
की थी।
श्री स्वामी महाराज
ने बचपन से ही संन्यास
ग्रहण कर लिया था।

पीताम्बरा पीठ
दतिया ज़िला , मध्य प्रदेश में
स्थित है। यह देश के
लोकप्रिय शक्तिपीठों
में से एक है। कहा जाता है
कि कभी इस स्थान
पर श्मशान हुआ करता था,
लेकिन आज एक विश्वप्रसिद्ध
मन्दिर है

स्थानील
लोगों की मान्यता है
कि मुकदमे आदि के सिलसिले में
माँ पीताम्बरा का अनुष्ठान
सफलता दिलाने वाला होता है।

पीताम्बरा पीठ
के प्रांगण में
ही 'माँ धूमावती देवी'
का मन्दिर है,

जो भारत में
भगवती धूमावती का एक
मात्र मन्दिर है।



स्थापना

मध्य प्रदेश के दतिया शहर में
प्रवेश करते
ही पीताम्बरा पीठ
है।




पीताम्बरा पीठ
की स्थापना एक
सिद्ध संत, जिन्हें लोग
स्वामीजी महाराज
कहकर पुकारते थे, ने 1935 में
की थी।


श्री स्वामी महाराज
ने बचपन से
ही संन्यास
ग्रहण कर लिया था। वे
यहाँ एक स्वतंत्र अखण्ड
ब्रह्मचारी संत के
रूप में निवास करते थे।
स्वामीजी प्रकांड
विद्वान व प्रसिद्ध लेखक थे।
उन्हेंने संस्कृत ,
हिन्दी में कई
किताबें
भी लिखी थीं।
गोलकवासी स्वामीजी महाराजने इस स्थान पर'बगलामुखी देवी'और धूमावती माईकी प्रतिमा स्थापितकरवाई थी।


यहाँ बना वनखंडेश्वर मन्दिरमहाभारत कालीनमन्दिरों में अपना विशेष स्थानरखता है। यह मन्दिर भगवानशिव को समर्पित है। इसकेअलावा इस मन्दिर परिसर मेंअन्य बहुत से मन्दिभी बने हुए हैं।
देश के विभिन्न हिस्सों से
श्रद्धालुओं का यहाँ आना-
जाना लगा रहता है।
 
देश के विभिन्न हिस्सों सेश्रद्धालुओं का यहाँ आना-जाना लगा रहता है। 
देश के विभिन्न हिस्सों से
श्रद्धालुओं का यहाँ आना-जाना लगा रहता है। 

प्रतिमा
पीताम्बरा देवी की मूर्ति के में मुदगर, पाश, वज्र एवंशत्रुजिव्हा है। यह शत्रुओंकी जीभको कीलित करदेती हैं। मुकदमेआदि में इनका अनुष्ठानसफलता प्राप्त करनेवाला माना जाता है।इनकी आराधना करनेसे साधक को विजय प्राप्तहोती है। शुत्रपूरी तरह पराजितहो जाते हैं। यहाँ के पंडिततो यहाँ तक कहते हैं कि,जो राज्य आतंकवाद वनक्सलवाद से प्रभावित हैं,वहमाँ पीताम्बरा की साधना वअनुष्ठान कराएँ, तो उन्हें इससमस्या से निजात मिलसकती है।धूमावती मन्दिरपीताम्बरा पीठके प्रांगण मेंही माँ भगवती धूमावती देवी का देशका एक मात्र मन्दिर है।ऐसा कहा जाता है कि मन्दिरपरिसर मेंमाँ धूमावती की स्थापना नकरने के लिए अनेक विद्वानों नेस्वामीजी महाराजको मना किया था। तबस्वामी जी नेकहा कि- "माँ का भयंकर रूपतो दुष्टों के लिए है, भक्तों केप्रति ये अति दयालु हैं।" समूचेविश्व मेंधूमावती माता का यहएक मात्र मन्दिर है। जबमाँ पीताम्बरा पीठमेंमाँ धूमावती की स्थापना हुईथी,उसी दिनस्वामी महाराज नेअपने ब्रह्मलीनहोनेकी तैयारी शुरूकरदी थी।ठीक एक वर्ष बादमाँ धूमावती जयन्ती केदिन स्वामी महाराजब्रह्मलीनहो गए।माँ धूमावती की आरती सुबह-शाम होती है,लेकिन भक्तों के लिएधूमावती का मन्दिरशनिवार को सुबह-शाम 2 घंटे केलिए खुलता है।माँ धूमावती को नमकीनपकवान, जैसे- मंगोडे,कचौड़ी व समोसेआदि का भोग लगाया जाता है। [1]ऐतिहासिक सत्यमाँ पीताम्बरा बगलामुखी का स्वरूपरक्षात्मक है।पीताम्बरा पीठमन्दिर के साथ एक ऐतिहासिकसत्यभी जुड़ा हुआ है।सन् 1962 में चीनने भारत पर हमला कर दिया था।उस समय देश केप्रधानमंत्री पंडितजवाहर लाल नेहरू थे। भारत केमित्र देशों रूस तथा मिस्र नेभी सहयोग देने सेमना कर दिया था।तभी किसी योगी नेपंडित जवाहर लाल नेहरू सेस्वामी महाराज सेमिलने को कहा। उस समयनेहरू दतिया आए औरस्वामीजी सेमिले।स्वामी महाराज नेराष्ट्रहित में एक यज्ञ करनेकी बातकही। यज्ञ मेंसिद्ध पंडितों, तांत्रिकों वप्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को यज्ञ का यजमानबनाकर यज्ञ प्रारंभ किया गया।यज्ञ के नौंवे दिन जब यज्ञका समापन होनेवाला था तथा पूर्णाहुति डाली जा रही थी,उसी समय'संयुक्त राष्ट्र संघ' का नेहरूजी को संदेशमिला कि चीन नेआक्रमण रोक दिया है। मन्दिरप्रांगण में वह यज्ञशाला आजभी बनी हुईहै।











 दतिया जिला उत्तर
की ओर से भिंड, पश्चिम की ओर से
ग्वालियर, दक्षिण की ओर शिवपुरी से एंव
पूर्व की ओर से उत्तर प्रदेश के
झाॅसी जनपद से घिरा हुआ है। यह जिला ग्वालियर
संभाग में आता है। इस जिले से झांसी एंव ग्वालियर के
मध्य पश्चिम रेलवे
द्वारा भी यात्रा की जा सकती
है
की ओर से भिंड, पश्चिम की ओर सेग्वालियर, दक्षिण की ओर शिवपुरी से एंवपूर्व की ओर से उत्तर प्रदेश केझाॅसी जनपद से घिरा हुआ है। यह जिला ग्वालियरसंभाग में आता है। इस जिले से झांसी एंव ग्वालियर केमध्य पश्चिम रेलवेद्वारा भी यात्रा की जा सकतीहै

maa pitambra

पीताम्बरा पीठ बस स्टैण्ड से 1कि0मी0 और रेलवे स्टेशन से 3 कि0मी0की दूरी पर है।दतिया एक प्रचाीन शहर है जिसका महाभारत मेंदैत्यावक्रा के नाम से उल्लेख है। यहाॅ के सात मंजिला महलभी प्रसिद्व है जो कि राजा वीरसिंह ने1614 में बनवाया था। दतिया धर्मिक स्थल हैजहाॅ पीताम्बरा पीठदेवी का सिद्वपीठ है।पीताम्बरा पीठ देश के सबसे लोकप्रियशक्ति पीठों में से एक है।श्री श्री 108स्वामी गोलकवासी स्वामीजी महाराज ने सन् 1935 में इस स्थान परबगलामुखी देवी औरधूमावती माई की प्रतिमा स्थापित करवाईथी। वर्तमान मेंजहाॅ माॅ पीताम्बरा पीठ का मंदिर है,वहाॅ कभी शमशान हुआ करता था।इसी शमशान के पास प्राचीनकाल का एकशिव मंदिर था जिसे वनखण्डेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता था।पुरातत्व विभाग के अनुसार श्री वनखण्डेश्वर महादेवजी का मंदिर पाॅच हजार वर्ष सेभी ज्यादा प्राचीन है। ऐसा कहा जाता हैकि महाभारत कालीन समय के गुरू द्रोणाचार्य के पुत्रअश्वसथामा के कहने परमाॅ पीताम्बरा पीठकी स्थापना स्वामी जी नेअपने तप, बल से की। यह मंदिर भगवान शिवको समर्पित है। इसके अलावा इस मंदिर परिसर में अन्य बहुत सेमंदिर भी बने हुए है। देश के विभिन्न हिस्सों सेश्रद्वालुओं का यहाॅ आना जाना लगा रहता है।माॅ पीताम्बरा बंगलामुखी का स्वरूपरक्षात्मक एंव स्तम्भनात्मक है।माॅ पीताम्बरा पीठ मंदिर के साथ ऐतिहासिकसत्य जुड़ा हुआ है। सन् 1962 में जब चीन नेभारत से दोस्ती के नाम पर भारतकी पीठ में छुरा खोंपकरअपनी सेनाओं के साथ भारत के ऊपर आक्रमण करदिया था। चीन की सेनाओं सेभारतीय सेना हर मोर्चे पर मुकाबला कररही थी, फिरभी चीन ने भारतकी जमीन पर कई जगह अवैधकब्जा कर लिया था। उस समय देश केप्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू थे।चीन के इस धोखे सेस्वामी जी भी स्तब्ध रहगये। इस अचानक हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। नेहरूजी के मित्र तथा मिश्र देश के राष्ट्रपतियों ने इसहमले में हस्तक्षेप करने से नेहरू जी को मना करदिया था। तभी एक योगी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को माॅ पीताम्बरा पीठ, दतिया केसाथ व संस्थापक श्री श्री 108स्वामी जी से मिलने के लिए कहा।जवाहरलाल नेहरू के पर्सनल सेकेटी ने मध्यप्रदेशके मुख्यमंत्री को एक मैसेजभेजा कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू दतिया मेंमाॅ पीताम्बरा पीठ आना चाहते है।जवाहरलाल नेहरू शासकीय विमान सेझाॅसी आए, उसके बाद कार सेदतिया पीताम्बरा पीठ पधारेतथा स्वामी जी नेमाॅ पीताम्बरा की अनुमति लेकर राष्ट्रहितमें एक यज्ञ करने की योजना बनायी।यज्ञ में सिद्व पंडितों, तात्रिंकों वप्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को यज्ञ का यजमानबनाकर यज्ञ प्रारंभ किया। कहते है यज्ञ के नौवंे दिन जबयज्ञ का समापन होनेवाला था तथा पूर्णाहुति डाली जा रहीथी उसी समय संयुक्त राष्ट्रसंघ का पंडितजवाहर लाल नेहरू को संदेश मिला कि चीन नेआक्रमण रोक दिया है औरअपनी फौजों को पीछे हटाने को कहा है।आज भी यह यज्ञशाला जिसमें राष्ट्रहित के लिएयज्ञ हुआ था बनी हुई है।माॅ पीताम्बरा बगलामुखी का स्वरूपरक्षात्मक, शत्रु विनाशक एंव स्तम्भनात्मक है।
 वेदों मेंही इनके इसी स्वरूप का वर्णनमिलता है। माॅ पीताम्बरा अपने साधिकों के शत्रुओंका स्तंभन कर देती हैं। शत्रु निराश होकर कुछभी करने में समर्थ नहीं रहता।माॅ पीताम्बरा के मंत्र का छंद बृहती है,जो वृद्वि करने वाला है। साधककी सभी प्रकार सेउन्नति होती है। माॅ पीताम्बरा सोने केसिंहासन पर विराजमान है। माॅ के हाथों में मुदगर, पाश, वज्र एंवशत्रुजिव्हा है। यह शत्रुओं की जीभको कीलित कर देती है। मुकदमें आदि मेंइनका अनुष्ठान सफलता प्राप्त करने वाला है।इनकी आराधना करने से साधक को विजय प्राप्तहोती है। शत्रु पूरी तरह से पराजितहो जाते है। जो राज्य आंतकवाद व नक्सलवाद से प्रभावित हैंवह माॅ पीताम्बरा की साधना व अनुष्ठानकराएं तो अत्यन्त लाभकारी उनके राज्य के लिए होगा,ऐसा स्वामी जी ने कई पुस्तकों में उल्लेखकिया है।माॅ पीताम्बरा पीठ के प्रांगण मंेमाॅ भगवती धूमावती देवी कादेश का एक मात्र मंदिर है।माॅ धूमावती की स्थापना न करने के लिएअनेक विद्वानांे नेश्री स्वामी जी को मना किया था।श्री स्वामी जी नेकहा कि माॅ का भंयकर रूप तो दुष्टों के लिए है, भक्तों के प्रति येअति दयालू है। समूचे विश्व में धूमावती माता का एकमात्र मंदिर है। जब माॅ पीताम्बरा पीठ मेंमा धूमावती की स्थापना हुईथी उसी दिन महाराज जी नेअपने ब्रहमलीन होनेकी तैयारी शुरू करदी थी। ठीक एक वर्ष बादमाॅ धूमावती जयन्ती के दिनश्री स्वामी जी महाराजब्रहमलीन हो गए।माॅ धूमावती की आरती सुबह- शाम होती है, लेकिन भक्तों के लिएमाॅ धूमावती का मंदिर शनिवार को सुबह - शाम दो घंटे केलिए खुलता है। माॅ धूमावती को नमकीन(मंगोड़े, कचैड़ी व समोसे) का भोग लगता है।माॅ पीताम्बरा पीठ का मंदिर प्रतिदिन सुबह5 बजे से रात्रि 1 बजे तक खुला रहता है। यहाॅ परहजारों की संख्या में भक्त, राजनेता,व्यवसायी दर्शनों के लिए आते रहते है।










Pitambara back datia 


Details 'Pitambara back' 


India Popular One of Shaktipeeths, Which is located in Madhya Pradesh. In the case of litigation, etc. Pitambara goddess ritual Achieving Success Is considered. State of Madhya Pradesh Datia district Construction period 1935 Shaktipeeth fame Related Articles Madhya Pradesh, Datia, Shaktipeeth Special Pitambara back In the courtyard The 'Mother Goddess Dumawati' The temple in India Bhagwati of Dumawati Is the only temple. 
Pitambara back Establishment of a proven Saints, people who Swamiji Maharaj Used to call him, in 1935 Had. Shri Swami Maharaj He retired from childhood Was assumed. 

Republic of philosophy, history, religion, art tours 
Pitambara back Datia District, Madhya Pradesh Is located. The country's Popular Shaktipeeths Is one. Is called That ever this location Cremation was on, But today is a world renowned There is a temple 
Sthanil Recognition of people's In connection with the lawsuit, etc. Mother Pitambara ritual Is going to succeed. 
Pitambara back In the courtyard The 'Mother Goddess Dumawati' The temple, 
In India Bhagwati of Dumawati Is the only temple. 

Installation 
Madhya Pradesh's Datia town Enter Pitambara back soon 's. 


Pitambara back Establishment of a Proven saint, people who Swamiji Maharaj Used to call him, in 1935 Had. 
Shri Swami Maharaj From childhood The renunciation Was assumed. They Here's a free continuous Celibate saint Used as a residence. Swamiji Colossus Renowned scholar and author. Unhenne Sanskrit, In Hindi Books Were written. Golkwasi Swamiji Maharaj On the spot "Bglamuki goddess' And Dumawati Mai The statue Had. 
Temple made ​​here Vnkhandeshwar Mahabharata Carpet A special place in temples Maintains. The temple of God Dedicated to Shiva. The In the temple complex Many other temple Remain. From different parts of the country Devotees Ana- here Is thought to be. 
Pratima- 
Pitambara statue of the goddess Mudgr hands, loop, Thunderbolt and Is Strujiwha. The enemies The tongue To be Kilit Give. Trial These rituals etc. Achieving Success Is considered. To worship him Conquered by the seeker Occurs. Sutr Completely defeated Become. The priest So to say that, State terrorism and If the affected, The Silence and mother of Pitambara Please ritual, then he The problem is bypassed by Can. Dumawati Temple Pitambara back In the courtyard The mother country of Goddess Bhagwati Dumawati Is the only temple. It is said that the temple Campus Mother Dumawati not set To many scholars Swamiji Maharaj Was forbidden. Then Swami ji Said: "Mother ghastly For the wicked, devotees These are a very compassionate. "Entire In World Dumawati of mother Is the only temple. When the Mother Pitambara back In Mother was established Dumawati Was Same Day Swami Maharaj Your Brhmlin Having Start preparing Tax Had. Exactly one year later Mother Dumawati jubilee Day Swami Maharaj Brhmlin Have. Mother Dumawati morning ritual The evening is But for devotees Temple of Dumawati Saturday morning and evening for 2 hours Opens. Mother Dumawati saltwater Dish, such as Mngode, Shortbread and samosas Etc. levied enjoyment. [1] Historical Truth Mother Pitambara format Bglamuki Protective. Pitambara back A historic temple Truth Is also connected. In 1962, China India was attacked. At that time the country Prime Minister Pandit Was Jawaharlal Nehru. India Allied countries, Russia and Egypt Also support the Was refused. Only a Yogi Pandit Jawaharlal Nehru Swami Maharaj Asked to meet. At that time Nehru came Datia Swamiji Found. Swami Maharaj Make a sacrifice in the national interest Talk Said. Sacrifice Proven pundits, healers and Prime Minister Jawaharlal The sacrifice of Nehru Yjman Start by making the sacrifice. The ninth day of sacrifice when sacrifice Completion of the Puarnahuti was about and was being cast, At the same time, 'United Nations' of the Nehru Live the Message Found that Chinese Invasion is stopped. Temple Yjञshala in court today Remains 's. 








  Datia District North Bhind side, west side Gwalior, Shivpuri south of the Anv From east Uttar Pradesh Jaॅsi is surrounded by the district. The district Gwalior Comes in the division. The district Jhansi, Gwalior Anv Central Western Railway Can also travel by The 

maa pitambra 
Just stand back Pitambara 1 3 0 0 m 0 m 0 and railway station Away. Datia is a city whose Mahabharata Prchain Datyavkra mention by name. The seven-storey palace Yhaॅ Which is also famous by the King Virsinh Was built in 1614. Datia religious site Jhaॅ back Pitambara Devi is Sidwpit. Pitambara back the country's most popular Power is one of the benches. Sri Sri 108 Golkwasi owner owner Ji Maharaj in 1935 at this location Bglamuki Devi and Dumawati statue made ​​of Mai Said. Currently Jhaॅ Maॅ back Pitambara temple, Vhaॅ ever was a crematorium. One of the ancient Near Cemeteries Vnkndeshwar Mahadeva Shiva temple which was known by the name. According to Mr. Vnkndeshwar Mahadev archeology Paॅc thousand years of living temple Is even more ancient. It is called Son of Guru Dronacharya of the Mahabharata carpet time Spurred by Ashwsthoma Maॅ back Pitambara Installation of Swami Ji Your tenacity, by force. The temple of Lord Shiva Dedicated to. Also in the temple complex of other The temple has also been built. From different parts of the country Yhaॅ of devotees came and lived. Maॅ Pitambara format Banglamuki Defensive Anv is Stmbnatmk. Maॅ Pitambara back with a historic temple Truth is connected. In 1962, when China India India in the name of friendship Stab in the back of Khonpakr With his armies invaded India over Was given. Armies of China Indian Army to compete on every front Was, again China, India Many places on the ground of illegal Was captured. At that time the country Prime Minister Pandit Jawaharlal Nehru. China with the deception Swami Ji also stunned The. The sudden attack shook the country. Nehru Friends and alloys land of the living Presidents Nehru refused to intervene in the attack Was given. Only a Yogi Pandit Jawaharlal Pitambara Maॅ back to Nehru, Datia And with the founder Sri Sri 108 To meet Swamiji said. Jawaharlal Nehru's personal Seketi Madhya Pradesh Chief of the message Prime Minister Jawaharlal Nehru wrote in Datia Maॅ Pitambara want to come back. Jawaharlal Nehru government aircraft Jaॅsi come, then by car Datia arrived back Pitambara And Swami ji Maॅ allow Pitambara the national Planned to make a sacrifice. Pundits prove sacrifice, Tatrincon and Prime Minister Jawaharlal Nehru immolate Yjman Start by making the sacrifice. Says Nauwane day of sacrifice Having concluded sacrifice Was supposed to be cast and Puarnahuti At the same time the United Nations was Pandit Jawaharlal Nehru was the message that China Invasion stopped and Are asked to remove their troops behind. For the nation even today Yjञshala Sacrifice was made​​. Maॅ Pitambara format Bglamuki Defensive, destructive enemy is Stmbnatmk Anv. 
  In the Vedas The same format as described Get. Maॅ Pitambara enemies of his Sadikon The erectile offer. Some enemies despair Is not able to do. Maॅ Pitambara is Brihti verses spells, Who is going to increase. Seeker All kinds of Is promoted. Maॅ Pitambara gold Sits on the throne. In the hands of Maॅ Mudgr, loop, Thunderbolt Anv Is Strujiwha. The enemies of the tongue Does the Kilit. In case etc. The ritual is to achieve success. They conquered the seeker to worship Occurs. Completely defeated enemy Become. If the state terrorism and the affected He Maॅ discipline and ritual of Pitambara So please be very beneficial to their state, It is mentioned in several books by Swamiji Have. Maॅ Pitambara employee in the back yard Maॅ Bhagwati Devi Dumawati Is the only temple in the country. To establish Dumawati not Maॅ Many of Vidwanane Sri Swami Ji was forbidden. Sri Swami ji Maॅ so wicked as that for the dreadful, the devotees towards the Is very kind. A Mother's worldwide Dumawati Is the only temple. When Maॅ back Pitambara Ma was established Dumawati Maharaji was the same day Having your Brhmlin Start preparing Had. Exactly one year later Maॅ Dumawati jayanti Sri Swami Ji Maharaj Brhmlin gone. Maॅ Dumawati morning ritual - Is evening, but for devotees Dumawati Maॅ the temple on Saturday morning - two hours in the evening Opens. Maॅ salted Dumawati (Mngode, Kcadi and samosas) to find enjoyment. Back to the temple every morning Maॅ Pitambara Is open from 5 pm until 1 am. On Yhaॅ Thousands of devotees, politicians, 
Popularity keep coming for business.